सब कुछ मीटता नहीं
अरमानों की फरमानों में एक चांद खिला है जिंदगी की कशमकश में दर्द छुपा है प्रवाद ही सही पर चर्चे जरूर थे , बेहाल पड़ा तो क्या हुआ है फिर सवरेङ्गे , हां कुछ मिसाल खड़ा तो करेंगे कुछ तो है जो मिटता नहीं ,हां सब कुछ लूटता नहीं||